शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2008

२५ प्रतिशत शेयर सार्वजनिक किए जाने का फैसला जायज़



सत्येन्द्र प्रताप सिंह
वित्त मंत्रालय एक प्रस्ताव लाया है। बाजार में शेयर लाने से पहले कंपनियों पर कम से कम एक चौथाई शेयर सार्वजनिक करने की शर्त तय की जाए। मंत्रालय का मानना है कि संस्थागत निवेशकों, कर्मचारियों औऱ प्रवासी भारतीयों को शेयर बेचकर सार्वजनिक शेयर की खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए।
यह सही है कि कंपनियां बाजार में उतरने के पहले कृत्रिम बढ़त बनाने की कोशिश करती हैं, जिससे आम निवेशकों की भीड़ को खींचा जा सके। इस कोशिश में तमाम बड़ी कंपनियां सेक्टरवाइज शेयर भी उतार देती हैं, यानी एक ही कंपनी के दो शेयर। होता यह है कि कंपनी अपने एक सेक्टर से पूंजी निकालती है और दूसरे में डाल देती है। खुद, कर्मचारियों के माध्यम से या संस्थागत निवेशकों के जरिए। बाद में ओवर सब्सक्रिप्शन देखकर जनता दौड़ती है उस कंपनी का शेयर खरीदने। इस तरह से कंपनी के आईपीओ का जलवा कायम हो जाता है। बाद में वह कंपनी धीरे-धीरे अपना पैसा खींचती है। शेयर गिरता है और आम निवेशक की तबाही शुरू हो जाती है।
अगर वित्त मंत्रालय का यह प्रस्ताव अमल में आता है तो स्वाभाविक है कि कंपनियों का गड़बड़झाला सामने आ जाएगा और वे आम निवेशकों के सामने नंगे हो जाएंगे। इससे सीधा फायदा बाजार में सीधे निवेश करने वाले निवेशकों को होगा और बाजार की घट-बढ़ चाल भी समझ में आएगी। जब कंपनी का कोई सीधा लाभ होगा या उसकी प्रगति होगी तभी शेयर के दाम बढ़ेंगे और सटोरियों, आम लोगों से पैसा लेकर निवेश करने वाले संस्थागत निवेशकों द्वारा उत्पन्न कृत्रिम बढ़त बनाने का दौर भी कम होगा।

2 टिप्‍पणियां:

Satya ने कहा…

i also support/

Manish Kumar Mishra ने कहा…

bhaiya satyendra ji
ye likhne ki suruat karke aapne achha to kiya hai.
lekin isse aap sabit kya karna chahte hai.